तुम और तुम्हारी आंखें
कितना कुछ कहती हैं खामोश रह कर
इसी खामोशी को पढ़ने समझने में जुटी हूं मैं
तब से अब तक
जितना भी समझा हैं अब तलक इन्हें
यहीं पाया है कि तुम्हारी आंखों में ही समाया है
दरअसल तुम्हारा सारा व्यक्तित्व
इनमें देखा है मैंने
असंख्य रंग बिरंगी मछलियों को तैरते
अनगिन परिंदों को उड़ान भरते
कभी रेगिस्तान सा रुखापन, पर्वतों सी दृढ़ता
मजनूंओं सा बांवरापन,भंवरों सी चंचलता
इसीलिये तुम और तुम्हारी आंखें
पर्याय हो
एक दूसरे के
बहुत सुन्दर हैं ये क्योंकि इनमें
तुम्हारे अज़ीज सपनों की
तस्वीर सजी दिखाई देती हैं मुझे
यहीं पाया है कि तुम्हारी आंखों में ही समाया है
दरअसल तुम्हारा सारा व्यक्तित्व
इनमें देखा है मैंने
असंख्य रंग बिरंगी मछलियों को तैरते
अनगिन परिंदों को उड़ान भरते
कभी रेगिस्तान सा रुखापन, पर्वतों सी दृढ़ता
मजनूंओं सा बांवरापन,भंवरों सी चंचलता
इसीलिये तुम और तुम्हारी आंखें
पर्याय हो
एक दूसरे के
बहुत सुन्दर हैं ये क्योंकि इनमें
तुम्हारे अज़ीज सपनों की
तस्वीर सजी दिखाई देती हैं मुझे
और हां अब इन तस्वीरों में
मैं भी दिखने लगी हूं
जैसे जनमों से सपनों की तरह
मैं भी तुम्हारी सगी हूं
तुम्हारी आंखों में सैलाब है, धुआं है
पर आंखों में हमेशा तैरती
लहरें डूबने नहीं देती मुझे
ले आती है सुरक्षित साहिल तक
हां तुम्हारी आखों में
मेरा मन खिलता है
और किसी स्त्री को
साहिल
वाकई बड़ी मुश्किल से मिलता है
मैं भी दिखने लगी हूं
जैसे जनमों से सपनों की तरह
मैं भी तुम्हारी सगी हूं
तुम्हारी आंखों में सैलाब है, धुआं है
पर आंखों में हमेशा तैरती
लहरें डूबने नहीं देती मुझे
ले आती है सुरक्षित साहिल तक
हां तुम्हारी आखों में
मेरा मन खिलता है
और किसी स्त्री को
साहिल
वाकई बड़ी मुश्किल से मिलता है
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ReplyDeleteबहुत ही सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत मोहब्बत 😊
DeleteBemishaal shandaar
ReplyDeleteDhanyawad Jija ji
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