Tuesday 9 July 2019

ढलती शाम: एक उदय

Ghar ki Chat 


ढलती शाम उस चिड़िया के सहारे बेहद खूबसूरत कटी।
उस दिन चिड़िया ने दिल को छुआ कुछ ऐसे
ढलती शाम से हुई हो मोहब्बत जैसे
सोचा करती थी ढलती शाम मायूसी है
उस छोटी सी प्यारी सी चिड़िया ने सिखाया ढलती शाम ख़ुशी है
ख़ुशी अपनों को पाने की
घरोंदे सजाने की
हँसने खिल-खिलाने की
मोहब्बत को जताने की

Telibagh Lucknow



New Delhi

उसने सिखाया कि ढलती शाम उम्मीद है
उम्मीद नई सुबह के आने की
नए सपने सजाने की
कल को बेहतर बनाने की
स्वयं को आज़माने की
Nemi nagar, Jaipur

चहचहाती हुई वो आ बैठी मुंडेर पर, कहने लगी
कह क्यूँ नहीं देती कि बात करनी है
बात करनी है खाने की
रूठने और मनाने की
गुस्सा और बचपना दिखाने की
फिर झट से समझदारी बताने की
Ganga Ghat Allahabad

ढलती शाम में चिड़िया ने सिखाया,
मत जाने दो शाम बेवफा यूँ ही;
क्यूँ की टूटा दिल और छूटा वक़्त समेटना आसान नहीं!!


Lucknow


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